Mahavir Swami Biography in Hindi : भगवान महावीर जो जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर है। उन्होंने हमेशा लोगो को प्रेरणा दी है। कि अहिंसा व सत्य के मार्ग पर चले। सभी के साथ आपस में प्रेम के साथ रहे। महावीर जी ने हिंसा, जाति, भेदभाव, धार्मिक कर्मकांड, पशुओं की बलि, नर बलि का कड़ा विरोध किया। भारत देश में धर्म के नाम पर ढोंग सदियों से चला आ रहा है।
उस समय यज्ञ हुआ करते थे। यज्ञ में पशुओं की बलि भी दी जाती थी। ब्राह्मण खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते थे और अन्य जातियों का शोषण, उत्पीड़न करते थे। महावीर जी ने भारत की भूमि पर जन्म लेकर इस अंधविश्वास का कड़ा विरोध किया। और सभी को मानवता का पाठ पढ़ाया। वह सभी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे।
इनका पूरा जीवन त्याग व तपस्या में बीता। इनका मानना था कि कीड़े, मकोडो और जीव जंतु को मारना मानव जीवन का सबसे बड़ा पाप है। बुद्ध और महावीर दोनों ने ही एक जैसा ज्ञान देकर लोगो को प्रोत्साहित किया। और अब आगे हम भगवान महावीर जी की जीवनी के बारे में विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।
भगवान महावीर का जन्म और जन्म स्थान।
महावीर जी का जन्म-ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुल्डलपुर में पिता सिद्धार्थ माता त्रिशला के यह तीसरी संतान के रूप में इन्होंने जन्म लिया। जो आगे चलकर महावीर के नाम से जाने गए। वे अतियाधिक तेजस्वी बुद्धिमान साहसी ज्ञानी होने के कारण महावीर बने। और उन्होंने अपनी इन्द्रियों को भी जीत लिया था।
जीवन की शुरुआत।
महावीर जी ने अपना आलीशान महल और एशो आराम छोड़कर इन्होंने अपना बिल्कुल साधारण सा जीवन बिताया और इनकी पूरे विश्व भर में महावीर जी से बहुत लोग प्रेरित हुए और उन्होंने सत्य की खोज और ज्ञान की प्राप्ति की।
महावीर जी बचपन से ही बहुत ज्यादा तेज और बुद्धिमान रहे हैं और इन्होंने अपनी हर एक इच्छा पर काबू पा लिया था। और इनको अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे महावीर भगवान सन्मति वर्धमान आदि नामों से जाना जाता है। उन्होंने 30 साल की उम्र से ही ज्ञान प्राप्त करना शुरू कर दिया था। कठिन तपस्या के बाद भी उन्हें सिर्फ ज्ञान ही प्राप्त हो सका. महावीर जी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद इन्होंने बहुत से संघ बनाकर जगह-जगह घूम कर अपना पवित्र संदेश लोगो तक पहुंचाया।
भगवान महावीर का सन्यासी जीवन।
महावीर को हमेशा से ही संसार के सुखों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनके माता पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह एक सन्यासी जीवन व्यतीत करेंगे। अपने भाई के कहने पर वह थोड़े दिन और रुक गए थे। फिर उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति में संसार की मोहमाया को पूरी तरह से त्याग दिया था। फिर उन्होंने 12साल तक एक जंगल में ज्ञान की प्राप्ति के लिए तप किया। बहुत लोग उनके उपदेशों को सुनने लग गए थे, और उनके अनुयायी बन गए थे. इनमें राजा-महाराजा भी थे। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि जीव-जंतुओं पर दया करें, पेड़-पौधों को भी ना काटे, और क्रोध न करे आपस में मिलजुलकर प्रेम के साथ रहे।
भगवान महावीर की शिक्षाएं और सिद्धांत कुछ इस प्रकार है।
*अहिंसा- महावीर जी ने हमेशा से हिसा त्यागने की बात की है, और अहिंसा के रास्ते पर चलने को कहा है और जितना प्रेम हम खुद से करते हैं उतना प्रेम हमें दूसरी से भी करना चाहिए। और कभी भी किसी को हीन भावना से न देखे।
*अपरिग्रह- उन्होंने बताया है कि इस दुनिया में दुखो का कारण ही किसी चीज के प्रति ज्यादा लगाव करना है। फिर उससे दूर हो जाना ही दुख बन जाता है। उन्होंने कहा है जो व्यक्ति होता है वह कभी मोह की लालसा नहीं करता।
*अस्तेप- महावीर जी ने चोरी करना बहुत ही बुरा पापा बताया है, और किसी का चुराया हुआ समान ले कर खुश होना बहुत ही बुरा काम बताया गया है।
*सत्य- महावीर ने कहा है कि मनुष्य किसी भी स्थिति में हो और उन्हें हमेशा सच का ही सहारा लेना चाहिए कभी झूठ में नहीं जीना चाहिए झूठ एक बहुत ही बड़ा पाप माना गया है।
*ब्रह्माचार्य- महावीर जी का मानना था कि कठिन तपस्या है। जो व्यक्ति इसे पूरा कर लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
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