सम्राट अशोक ने मानव की भलाई के लिए अनेक कार्य किये है। कहा जाता है सम्पूर्ण भारत का निर्माण सम्राट अशोक ने ही किया है। और सम्राट अशोक ने लगभग पुरे भारत पर शासन किया। आज भी भारतीय मुद्राओं पर अशोक चिन्ह, जोकि सिंह के तीन मुख के रूप में है। न्यायलयों में भी सत्यमेव जयते के साथ अशोक चिन्ह देखने को मिलता है। चलिए विस्तार से जानते है चक्रवर्ती महान सम्राट अशोक के बारे में।
सम्राट अशोक दुनिया के महान व सबसे अलग शासक रहे हैं। सम्राट अशोक को भारतीय साम्राज्य का तीसरा शासक माना जाता है। और सम्राट अशोक भारतीय मौर्य राजवंशों के सबसे शक्तिशाली व महान शासक के रूप में रहे हैं। सम्राट अशोक का साम्राज्य ईरान से लेकर बर्मा तक फैला हुआ था। जहां-जहां भी अशोक का साम्राज्य था वहां पर अशोक स्तम्भ बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि मुगलों द्वारा बहुत से अशोक के स्तम्भ ध्वंस कर दिए गए।
महान सम्राटअशोक का जन्म व जन्म स्थान।
महान सम्राट अशोक का जन्म ईसापूर्व 304 में पटना के पाटलिपुत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम बिन्दुसार और माता का नाम सुभांद्रगी (धर्मा) था। और यह माना जाता है कि सम्राट अशोक के 101 भाई थे। और सम्राट अशोक का बचपन का नाम देवानाप्रिय (प्रियदर्शी) अशोक मौर्य था।
सम्राट अशोक शुरुआती जीवनकाल।
सम्राट अशोक भारतीय इतिहास में सबसे कुशल व निडर राजा थे। सम्राट अशोक बचपन से ही तीव्र बुद्धि व चतुर बालक थे। और सम्राट अशोक में बचपन से ही युद्ध व तीरअंदाजी में भी बहुत कुशल थे, साथ-साथ यह शिकार भी किया करते थे। सम्राट अशोक को सफल व कुशल बनाने में चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही साथ कुशल वा सफल बनने के सभी गुण चाणक्य ने सम्राट अशोक को सिखाए थे।
यह सभी गुण देखते हुए सम्राट अशोक के पिता बिदुसार ने उन्हें बचपन से ही सम्राट बना दिया और सम्राट अशोक ने बड़े होकर जब कार्य किया तो उन्होने सभी प्रजा का अच्छे से ख्याल रखा। इसी वजह से प्रजा सम्राट अशोक को बेहद पसंद करने लगी। और उन्होंने सबसे पहले उज्जैन का शासन संभाला जब उन्होंने यह शासन भालि भांति संभाला तो वे एक कुशल राजनतिज्ञ के रूप में उभरे। फिर उनका विवाह राजकुमारी शाक्य कुमारी से हुआ। जिससे उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा का जन्म हुआ।
माना जाता है कि सम्राट अशोक ने पूरे भारत सहित अन्य उपमहाद्वीप पर भी अपना साम्राज्य स्थापित किया और धीरे धीरे यह साम्राज्य बड़ता ही गया। और यह साम्राज्य भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा साम्राज्य बनकर उभरा। परन्तु सम्राट अशोक अपना साम्राज्य केरल, श्रीलंका और तमिलनाडु पर स्थापित नहीं कर सके।
सम्राट अशोक व कलिग युद्ध।
सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य को और ज्यादा स्थापित करने के लिए कलिंग का युद्ध किया। और कलिग पर आक्रमण कर दिया। जिसमे 1 लाख से ज्यादा लोगो की बेहरेहमी से मौत के घाट उतारा गया और जिसमें सबसे ज्यादा सैनिकों की मौत हुई। डेढ़ लाख लोग घायल हो गए थे। लेकिन कलिंग की लड़ाई के बाद भारी मात्रा में नरसंहार हुआ। युद्ध जीतने के बाद सम्राट अशोक को अपनी इस गलती पर बहुत ज्यादा अफसोस हुआ। इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना कर शांति के मार्ग व अहिंसा का रास्ता अपना लिया।
सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार।
सम्राट अशोक बौद्ध धर्म अपनाने के बाद बहुत ही महान शासक के रूप में सामने आए। और धीरे-धीरे उन्होने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया और उसके सभी साम्राज्य के लोगो को उसने अहिंसा ओर शांति का मार्ग अपनाने को कहा। और सभी को अच्छे कर्म करने और पशु बलि पर भी रोक लगा दी।
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद समाज सेवा करने और सभी गरीबों की मदद करने के लिए बढ़-चढ कर सहयोग किया। और देश में कई अस्पताल, कॉलेज और पशुओं तक के लिए भी सम्राट अशोक ने अस्पताल खुलवाए।
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को पूरे विश्व में फैलाया और एशिया में भी सम्राट अशोक ने बुद्ध के स्तूपों का निर्माण करवाया। सम्राट अशोक ने अपने पुत्र-पुत्री को भी भिक्षु बना कर बुद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार भारत से बाहर फैलाया अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका आदि देशों में घूम- घूमकर प्रचार किया और सम्राट अशोक के बेटे को बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में भारी सफलता मिली।
सम्राट अशोक का भारतीय इतिहास में चरित्र।
सम्राट अशोक भारतीय इतिहास में महान शासक के रूप में उभरे। जिन्होंने अपने साम्राज्य में काफी कम समय में शांति स्थापित की। और सम्राट अशोक के शासन काल में पूरे देश में वैज्ञानिक,तकनीकी, शिक्षा, चिकित्सा आदि में बेहद विकास किया। सम्राट अशोक ने बुद्ध धर्म के प्रचार करने के पश्चात सभी लोगो में ईमानदारी शांति अहिंसा के मार्ग पर चलने लगे।
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