क्योंकि मैं एक लड़की हूँ…
पैदा हुआ जब भाई मेरा
सबनें जश्न मनाया था,
फिर क्यों मेरे पैदा होने पर
सबने शोक मनाया था।
क्योंकि मैं एक लड़की हूँ
क्या इसलिए समाज ने
बोझ बनाया था?
पैदा होते ही बाँध दिया
मुझको कुल की मयार्दा से,
और काटा गया परो को मेरे (सपने)
पिरोया इज्जत के धागो में।
आखिर क्या खता थी मेरी
जो तुमने जख्म हजार दिया?
और फिर हीरो के हार का
लड़कों को खिताब दिया। (वसीयत)
और आखिर में बांध दिया
मुझको फूलों की माला में,
आखिर में तो घर की इज्जत थी
तो फिर क्यों सौदा
मेरा खुले आम हुआ (दहेज)
क्योंकि मैं एक लड़की हूँ
जो ये सब मेरे साथं हुआ?
🙏🙏🙏🙏
लेखक – सोनू कुमारी
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