लोग कहते हैं…
ये इश्क़ की गलियां बहोत खराब है
जहाँ हर शख्स बदनामी का शिकार है।
पर मेंरा भी एक सवाल है
वो अनदेखा अनजाना चेहरा
जिसके हाथ में मेरी लक़ीर है
क्या पढ़ सकेगा मेरे होठों पर
अनकही उन सारी बातें को,
क्या सह सकेगा
मेरी हर बचकानी बातों को,
क्या कर सकेगा पूरा वो
मेरे हर अरमानों को,
क्या प्रसवकाल की पीड़ा में
गर्म पानी की बोतल लाकर
बांट सकेगा मेरे दर्द को,
नहीं! नहीं तो फिर क्यों ये इश्क़
की गालियाँ क्यूँ बदनाम है,
अगर प्यार करना एक गुनाह है
तो अपना जिस्म किसी गैर को देना
ये कहाँ का न्याय है,
यू बदनाम न कर इन गलियों को
ये खूबसूरत सा एक ख्वाब
कुछ रिश्तो का एहसास है
बदनाम न कर इन गलियों को
आखिर वो ताज भी इसकी ही पहचान है।
🙏🙏🙏🙏
लेखक – सोनू कुमारी
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