Essay on Hindi Diwas in Hindi : हिंदी दिवस एक ऐसा दिन हैं जिसमें हम अपने भारतीय संस्कृति को संजोने का और हिन्दी भाषा को सम्मान देने का एक जरिया है. वर्ष 1949 में संविधान सभा ने इसे आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया और तब से भारत में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा. विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है।
हिंदी दिवस का महत्व : हर वर्ष 14 सिंतम्बर को हिंदी दिवस और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. 14 सिंतम्बर 1949 से हिन्दी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. इस दिन भारतीय संविधान सभा ने हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया और राजभाषा का दर्ज भी दिया. तभी से हर वर्ष इस भाषा को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 14 सिंतम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.
भारतीय संविधान ने 14 सिंतम्बर 1949 को भारत गणराज्य के आधिकारिक राजभाषा के लिए हिंदी को स्वीकार किया और तो और 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान ने आधिकारिक रुप में प्रयोग करने का विचार किया और उसे स्वीकार भी किया था. हिंदी दिवस को लोग एक त्यौहार के रूप में मनाते हैं और इस पर स्कूल, कॉलेज में पढ़ाया जाता है और निबंध, लेख और स्पीच आदि भी लिखी जाती है. हम आपको अपने इस आक्टिकल में हिन्दी दिवस की महत्ता को बताया है.
हम लोगो के लिए यह क्षण गौरवान्वित करने वाला था जब भारतीय संविधान ने आधिकारिक राजभाषा के रूप में हिंदी को अपनाया था. संविधान ने उसे ही समोहित किया और हिंदी जो कि देवनागरी लिपि में लिखी थी उसे आधिकारिक राजभाषा बना दिया गया.
14 सिंतम्बर को भारत में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था तब से इस दिन हिंदी दिवस मनाया जाने लगा. बोहोत जगह इस दिन स्कूल, कॉलेज और कार्यालय में इस दिन को एक उत्सव के रूप में बनाया जाने लगा और बोहोत से लोग खुद सामने आ के हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के ऊपर बता करते है और उसकी महत्वत्ता को बताते है.
कई स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन प्रतियोगिता आयोजित करते हैं और उसमें बच्चे भाग लेते है और हिन्दी पर बहस , कविता , कहानी आदि कार्यकम होते हैं साथ ही संस्कृति कार्यक्रम भी आयोजित किया जाते हैं.
भारत के राष्ट्रपति के द्वारा इस दिन बोहोत से लोगों को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सम्मानित भी किया जाता है जो हिंदी के क्षेत्र में अच्छा काम करते हैं. यहां पुरस्कार राजभाषा के विभागों, मंत्रालयों, पीएसयू और राष्ट्रीयकृत बैंको को बाटे जाते हैं. सालाना हिंदी दिवस पर मंत्रालय के आदेश से 25 मार्च 2015 को दो पुरस्कारों के नाम बदल दिए गए थे. उनके नाम है जो 1986 में स्थपित ‘इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार’, ‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’ और ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार’ बदल कर ‘राजभाषा गौरव पुरस्कार’ हो गया है
हमारे देश में हिंदी भाषा का महत्व कुछ खो सा गया है और इसलिए हिंदी दिवस वाले दिन हिंदी भाषा पर जोर देने वाला एक दिन है और अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को लोग समझदार मानते हैं तो दूसरी तरफ हिंदी बोलने वाले लोगों को लोग सभ्य और समझदार समझा जाता है.
आज के समय में यह देखने को ज्यादा मिलता है कि जो लोग काम करने के लिए दफ्तरों में अपना परिचय अंग्रेजी में देते हैं उन्हें ज्यादा समझदार व्यक्ति समझा जाता है और यही समय है जब हम इस पक्ष-पात के दृष्टिकोण को नष्ट कर सकते हैं. इसलिए हिंदी दिवस हमारे राजभाषा के साथ साथ हमारे भरतीय संस्कृति के ऊपर जोर देने का एक सही तरीका है. आज के समय में युवाओं को अपनी सभ्यता और संस्कृति के बारे में याद दिलाने का समय है.
हर वर्ष हिंदी दिवस हमे हमारी असली पहचान से रूबरू करता है, और हम सब को एक साथ लाता है. हमें अपने जीवन में अपनी संस्कृति और मूल्यों को हमेशा बरकरार रखना चाहिए और यह दिन (जो हम हिंदी दिवस के रूप में बनते हैं ) एक याद गार के रूप में काम करता है. हिन्दी दिवस ही एक ऐसा दिन है जो हमे हमारे देश के प्रति भक्ति भावना को जागत है।
उपसंहार : हिंदी भाषा को बाहरी भाषाओं की वजह से गिरावट का सामना करना पड़ रहा है और इसलिए मातृभाषा जरूरत को समझने के लिए और इसकी महानता को बनाये रखने के लिए आवश्क हो गया है हिंदी दिवस को मनाया जाए. ये हिन्दी भाषा और उसके महत्व को बनाये रखने में और जानने का अवसर देता है, इसलिए इस दिन को हमे बड़े ही पैमाने पर मानना चाहिए।
– ज्योति कुमारी
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