देशभक्ति हिंदी कविता (Patriotic Hindi Poem)
थे वो पर्वत के समान
पर्वत की चोटी पर तैनात।
दुर्गम थी राह वहाँ की
दुर्गम थी चोटी की चढ़ाई,
फिर भी उड़ा दुश्मनों के होश
लड़े वो एक सिंहग समान।
“ऐसे सिंहगों को करती मैं नमन बारम – बार”
निकले लेकर वीरों की सेना
नेतृत्व करते कैप्टन विक्रम बत्रा
डटे रहे शत्रु के सामने
ऐसी निडरता के समान
होश उड़ गए दुश्मनों के
जैसे हो किसी सिंह की दहाड़।
“ऐसे सिंहगो को करती मैं नमन बारम – बार”
थे ऐसे परमवीर कैप्टन विक्रम बत्रा
होकर लहू – लोहान भी,
छोड़ा न हिम्मत का साथ
थाम कर अपने साथियों का हाथ,
डटे रहे पर्वत के समान
पर्वत की चोटी पर तैनात।
“ऐसे सिंहगों को करती मैं नमन बारम – बार”
चली ऐसी गोलीबारी
सोच – सोच आम लोगों का दिल घबराएं,
किन्तु इनके माथे पर
एक सिकन भी न आए
मार भगाया दुश्मनों को,
किया विजय उध्दोष।
“ऐसे सिंहगों को करती मैं नमन बारम – बार”
कर विजय उध्दोष कैप्टन विक्रम बत्रा
प्राप्त हुए वीरगति को,
देख इनका शौर्य और वीरता साहस
रोया पूरा हिंदुस्तान था।
🙏🙏🙏🙏
14 फरवरी को जो पुलवामा में हुआ जिसमें हमारे कई वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए. हमारी ओर से इन सभी को शत शत नमन, इस कविता के माध्यम से एक छोटी सी क्षद्धाजंलि ।
(ज्योति कुमारी )
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