Essay on constitution of India: भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है और यह लिखित रूप में भी है. जिसे दिसम्बर 1946 से बनाना शुरु कर दिया था. भारत का संविधान (Constitution of India) 26 नवम्बर 1949 को बन कर तैयार हो गया था, लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था. हमारे संविधान को बनाने में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे थे. इसमें 395 अनुच्छेद थे, 8 अनुसूचित और 22 भाग थे. जो वर्तमान में बढ़कर 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचित और 25 भाग हो गए हैं. साथ ही इसमें कुछ ऐसे भी प्रावधान है जो पहले नही थे।
संविधान क्या है? | What is constitution of India
हमारे देश का जो कानून है उसे ही संविधान कहते हैं. संविधान एक किताब है. जिसमे हमारे देश का कानून, सविधान सभा ने विभिन्न देशों से लेकर हमारे संविधान में डाला है. जो एक लिखित रूप में है. यह आम भाषा में संविधान का कानून भी कहलाता है.
इसमें 395 अनुच्छेद थे, 8 अनुसूचित और 22 भाग थे. जो वर्तमान में बड़कर 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचित और 25 भाग हो गए हैं. भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बन कर तैयार हो गया था लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था. हमारे संविधान को बनाने में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे थे.
संविधान का निर्माण क्यों हुआ ? | Why was the constitution made?
जैसा हम सब जानते है कि भारत ने दो सौ साल अंग्रेजों का गुलाम बना कर रहा, और फिर दूसरे विश्व युद्ध के बाद हमे आजादी मिली. जब हमें 1947 में आजादी मिली उससे पहले ही 1946 में हमारे देश के माननीय सदस्य ने संविधान निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था.
आज़ादी के देश को विकास की ओर ले जाने के लिए कुछ ऐसे नियम और कानून होने चाहिए जिसे देश का हर एक इंसान माने ( क्योंकि पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न जाति, धर्म, नस्ल आदि के लोग रहते हैं और इनमें एक समरूपता बनाए रखने के लिए ऐसे ही नियम और कानूनों की जरुरत थी)। लोगों में आरजकता न फैले और इसलिए विभिन्न देशों का भ्रमण कर जिस देश का कानून अच्छा लगा उसे हमारे संविधान में डाल दिया गया जैसे –
*अमेरिका का संविधान :
मौलिक अधिकारों की सूची
न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता
* फ्रांस का संविधान :
स्वतंत्रता , समानता और बंधुत्व का सिद्धांत
* ब्रिटेन का संविधान :
सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला
सरकार का संसदीय स्वरूप
कानून के शासन का विचार
कानून निर्माण की विधि
विधायिका में अध्यक्ष का पद और उसकी भूमिका
* आयरलैंड का संविधान :
राज्य के नीति निर्देशक तत्व
* कनाडा का सविधान :
एक अर्द्ध संघात्मक सरकार का स्वरूप (सशक्त केन्द्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था)
अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत
ये सब हमारे भरतीय संविधान में लिखित रूप में है और जिसका लोग सम्मानपूर्वक वहन कर रहे हैं. जिस समय भारत का संविधान तैयार हो रहा था तब सभी ने यह सोच की आगे चलकर भविष्य में लोगों को और भी नए नियमों की आवश्कयता होगी. तथा पुराने नियमो में बदलाव भी किया जाएगा.

* लचीला : जब भी व्यक्ति किसी कानून से खुश नहीं होते या फिर उस कानून की वजह से उन्हें परेशानी हो रही है तो वो इस कानून को बदलने के लिए के लिए अपील करते हैं और तभी सुनवाई नहीं हुई. तो लोग आंदोलन या धरना करना शुरू कर देते है और फिर मजबूरन उस कानून को बदलना पड़ता है. सबसे पहला संशोधन 18 जून 1951 में हुआ था उसके बाद से अब तक 100 संशोधन किया जा चुका है.
* कठोर : हमारा संविधान कठोर भी है क्योंकि कभी कभी कुछ व्यक्ति अपनी गलत मांग के लिए सरकार पर दवाब बनाते हैं यहाँ तक कि वो आम जनता को हिंसक बना देते हैं. उन्हें आधी अधूरी बात बता कर. लेकिन हमारा संविधान इतना कठोर भी है कि उसपे इन सब बातों का असर नही होता . वो केवल सही बात के लिये ही लचीला है गलत माँगो के लिए वो कठोरता पूर्वक कार्य करता है.
हमारे इस संविधान को केवल एक व्यक्ति विशेष ने नहीं बल्कि सभी ने मिलकर बनाया है. यह भी बात सही है कि डॉ भीमराव आंबेडकर को इनका जनक माना जाता है क्योंकि इसका प्रारूप समिति के सामने उन्होंने ही रखा था और जब संविधान का निर्माण कार्य शुरु हुआ तो विभिन्न समिति बनाई गई. जिसके अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर जी थे . जिस कारण उन्हें संविधान का जनक माना जाता है.
लेकिन इसमें और भी लोगों की भागेदारी है जैसे – कुछ प्रमुख सदस्यों के नाम है पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि थे जिनके सहयोग से यह संविधान बनकर तैयार हुआ. जैसे –
राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण पिंगली वैकेया ने किया था.
थॉमस हेयर ने आधुनिक निर्वाचन प्रणली का निर्माण किया था.
भारतीय संविधान के सजावट का कार्य शांति निकेतन के कलाकारों ने किया था. जिसका निर्देशन नंद लाल बॉस ने किया था. न जानने ऐसे कितने है जिन्होंने इस संविधान को बनाने में अपना सहयोग दिया है.
जब संविधान बना तो काफी बहस हुई थी,
लगभग 114 दिन तक और कुल 12 अधिवेशन किए गए थे जिसके बाद 24 जनवरी 1950 अंतिम दिन में 284 लोगों ने इस पर हस्ताक्षर किए और फिर 26 जनवरी को इसे प्रभाव में लाया गया था.
संविधान के बारे में अन्य जानकारी
धर्मनिरपेक्षता : समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता यह शब्द संविधान में 1976 में हुए 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में जुड़े. इससे पहले तो धर्मनिरपेक्ष की जगह पंथनिरपेक्ष शब्द था. यह बिना किसी भेदभाव के सभी को फिर चाहे किसी भी धर्म ,जाति, लिंग, नस्ल आदि का हो सामान हक और अवसर प्रदान करता है.
संविधान संशोधन : जब संविधान सभा ने संविधान का निर्माण किया तो उनकी सोच दूरगामी थी. वह जानते थे कि हमारा देश चारों दिशाओं से विकास कर रहा है इसलिए आगे चलकर संविधान में कुछ परिवर्तन होंगे और इसलिए उन्होंने संविधान का निर्माण इस तरह किया कि हम समय समय पर परिवर्तनों के अनुसार संविधान में संशोधन कर सकते हैं. इसकी तीन विभिन्न प्रक्रिया है. संविधान में सबसे पहला संशोधन 18 जून 1951 में हुआ और अब तक संविधान में 100 संशोधन हो चुके हैं.
संविधान सभा के सदस्य : कुल 284 सदस्य हैं जिन्होंने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेंजो पर हस्ताक्षर किए, इनमे से 15 महिलाएं भी शामिल थी.इसके बाद 26 जनवरी को संविधान भारत के अस्तित्व में आया था.
संविधान के जन्म दाता : 29 अगस्त 1947 जब संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए तब एक समिति की स्थापना की गई . जिसके अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर थे और संविधान के निर्माता भी है, इसलिए इन्हें संविधान का जन्म दाता भी कहा जाता है.
भारत राज्यों का संघ : भारत अनेक राज्यों का एक संघ है. यह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है. यह गणराज्य देश भारत के संविधान के अनुसार शासित होता है. जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित किया गया और 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में लाया गया.
संविधान की विशेषता :
भारत के संविधान की विशेषता यह है कि वो संघात्मक भी है और एकात्मक भी. भारत के संविधान में संघात्मक संविधान की सभी जरूरी विशेषताये मौजूद हैं.
आपातकाल में भरतीय संविधान में केंद्र सरकार को और भी शक्तिशाली बनने का प्रावधान है और एकात्मक संविधानों के अनुरूप है.
हमारे भरतीय संविधान में केवल एक नागरिकता का प्रावधान किया गया है.
एक ही संविधान केंद्र और राज्य सरकार दोनों को ही कार्य संचालन में व्यवस्था प्रदान करता है.
अंततः भारत का संविधान हर प्रकार से लोगों को स्वीकार है और यही एक जरिया है जिससे भारत अनेको धर्म, जाति, नस्ल, लिंग आदि जैसे लोगों को समेट कर और संभाल कर रखा है. जिसे आज के समय में राजनेताओं ने चुनाव में वोट हासिल करने के लिए लोगों के मन मे फुट डालते हैं. चुनावी रैली या भाषण में यह कहते हैं कि हम आपको मंदिर, माजिद देगे बनवाकर जो कि हमारे संविधान के सख्त खिलाफ है. यह काम राजनेताओं का नही है न ही संविधान में कोई प्रावधान है.
-ज्योति कुमारी
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