किन्तु दिन निश्चित नहीं हो पा रहा था लेकिन आखिर में 1914 में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने की घोषणा कर दी गई और तब से यह इसी दिन मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है ? |
Why is International Women’s Day celebrated?
अंत में अमेरिकन समाजवादी और जर्मन समाजवादी लुईस जिएल्ज की सहायता द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के वार्षिक उत्सव की स्थापना हुई। लेकिन कोई दिन निश्चित नहीं हो पाया।
इसे सबसे पहले और पहली बार 19 मार्च 1911 में जर्मनी, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड के लाखों लोगों द्वारा मनाया गया था। यहां पर इस दिन को प्रदर्शन, महिला पेड आदि के द्वारा हर्षोल्लास से मनाया गया। तो अमेरिका में इस दिन को फरवरी के दूसरे शनिवार को मनाया जाने लगा। एशियन महिलाओं के द्वारा यह दिन पहली बार फरवरी के अंतिम रविवार 1913 को मनाया गया था।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है ?
अंत में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 1914 को मनाया जाने की अंतिम घोषणा की गई और तब से यह दिन 8 मार्च को सालाना मनाया जाता है। जर्मनी ने महिलाओं का सम्मान करते हुए 1914 में प्रथम बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया और सम्मान के लिए उनके वोट डालने के अधिकार को लेकर खासतौर पर उस दिन के कार्यक्रम रखा गया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व :
इन्ही सब हालातों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की घोषणा की गई। ताकि लोगों को पता चल सके कि समानता अधिकार सभी को प्राप्त है। लिंग को लेकर कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। आज देश जो तरकी की सीढ़ियां चढ़ रहा है उसमें महिलाओं का भी हाथ है। आज के समय मे महिलाएं भी हर फ़ील्ड में काम करती हैं। जैसे – पायलेट, इंजीनियरिंग, टीचर, पुलिस आदि।
भारत में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :
भारत मे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के लिए बहुत बड़ी बात है क्योंकि यह पर बहुत सी महिलाएं ऐसी ही जिन्हें अपने अधिकारों के बारे में नही पता और यदि पता है तो उनके पास साहस नहीं है। ऐसे में यह दिन उनके लिए प्रेरण का कार्य करती हैं। यह भारत में ही नही अपिन्तु समस्त संसार में प्रेरण का काम करती हैं।
निष्कर्ष :
सभी समान है और किसी भी रूप में फिर चाहे लिंग आधारित हो या जात पात आधारित हो अंतर न किया जाए। यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस इसी बात की ओर संकेत करता है। सभी को एक दूसरे को समान समझना चाहिए और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। सभी समान है। इस बात को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। चाहे फिर जात पात की बात हो या लिंग से जुड़े अधिकारों की कोई भेदभाव नहीं होगा।
मैं ज्योति कुमारी, Lifestylechacha.com पर हिंदी ब्लॉग/ लेख लिखती हूँ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूँ और मुझे लिखना बहुत पसंद है।
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