वीरांगना खेतु हिंदी कविता
ये धरती है अनेके वीरों की
वीर गाथाओं से भरी ,
किन्तु कुछ कम नहीं
इस धरती की वीरांगनाएं भी,
दिया इन्होंने भी
अनेकों बार बलिदान है।
“ऐसी वीरांगनाओं को करती मैं नमन बारम – बार”
डाया कहर जब मुगलों ने
गढो के गढ़ चित्तौरगढ़ पर,
कहलाता था जो राजपूतानी
अन्न, बान, शान का प्रतीक था,
करने उसकी रक्षा आई दौड़ी,
एक संदेश पर,
न की चिंता प्राणों की,
मात्र एक जज्बा दिल में
” न रखने देगें अपने जीते जी,
इन मुगलों को एक पग भी,
अपनी इस मातृभूमि पर “
ले आज्ञा महाराणा प्रताप की
कूद पड़ी दुश्मनों की छावनी में।
“ऐसी वीरांगनाओं के साहस को करती मैं नमन बारम – बार”
समातो से मुगलों ने बिछाया
जो बारूदी सुंरग वाला जाल था,
कर दिखाया अकेले ही नष्ट
उन समातो को,
ले अनेकों गोलियों की बौछार
” जो मुगलों ने किया था,
पीठ पीछे से वार “
फिर भी दिया वचन निभाया था
मुगलों की बारूदी सुरंग वाली जाल में,
मुगलों को ही मार गिरा कर दिखाया था।
“ऐसी वीरांगनाओं के अदभुत वीरतामय साहस को करती मैं नमन बारम – बार”
हँसते हँसते मातृभूमि के लिए,
खेतु ने अर्पित किया अपना सर्वशः था।
होठों पर ” जय मेवाड़,
जय एकलिंगजी ” का नारा था।
देखा अपना अदभुत रणकौशल
समस्त राजपुताने को,
अपना ऋणी बनाया था।
धन्य – धान्य थी यह वीरांगना,
जिन्होंने इतिहास के पन्नों पर,
अपना नाम दर्जा कराया था।
🙏🙏🙏🙏
मैं ज्योति कुमारी, LifestyleChacha.com पर हिंदी ब्लॉग/ लेख लिखती हूँ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूँ और मुझे लिखना बहुत पसंद है।
(ज्योति कुमारी )
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