बसन्त हिंदी कविता
ऋतुओं में भी जब ऋतुओं के राजा पधारे।
चाहू ओर उत्सव छा जाए
पुष्पें मुस्कुराती हैं,
भवरे गुनगुनाती हैं,
बगियाँ मेहक जाती हैं,
मानो एक अलग सी हरियाली,
खुशियाली सी छा जाती हैं।
ऋतुओं में भी जब ऋतुओं के राजा पधारे।
देख ऐसी खुशहाली संसार में,
मानो समस्त संसार को
प्रेममय बनाया हो,
स्वयं प्रकट हो
रति ओर कामदेव ने।
ऋतुओं में भी जब ऋतुओं के राजा पधारे।
चाहू दिशाओं में बंसती
रंग सा छा जाए
छोड़ निराशा, आशा का
प्रतीक पीला रंग बन जाए।
ऋतुओं में भी जब ऋतुओं के राजा पधारे।
वीणा वार्दनी माँ सारदे भी
इस ऋतु में घर-घर पधारे,
आशीष में माँ सारदे
देती ज्ञान सागर का ज्ञान हैं,
मन बुद्धि को बुद्धि देती
हर एक पग पर,
ज्ञान का भण्डार भर देती।
🙏🙏🙏🙏
मैं ज्योति कुमारी, LifestyleChacha.com पर हिंदी ब्लॉग/ लेख लिखती हूँ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूँ और मुझे लिखना बहुत पसंद है।
(ज्योति कुमारी )
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